शारीरिक फिटनेस आखिर क्या है और फिटनेस क्यों जरूरी है
शारीरिक फिटनेस आखिर क्या है
हमें अक्सर यही लगता है कि हमें व्यायाम का आवश्यकता नहीँ है । हम फिट हैं पर जब छोटी सी सीढियां चढ़ते ही सांस चढ़ जाता है या फिर बस के पीछे भागते हुए हम दूसरों से पीछे रह जाते है तो हमें आभास होता है कि हम कितने गलत थे।
फिट होने का अर्थ है कि हम अपनी जिन्दगी भरपूर तरीके से जीए हमें कोई समझोता न करना पड़े कम से कम शरीर के मामले में व हमारा वज़न हमारी लम्बाई के अनुपात में हो । एक उम्र तक यदि हम इन सब बातों को नज़रअंदाज़ कर भी दें तो उम्र के आखिरी पडाव पर फिटनेस की आवश्यकता महसूस होती है, पर उस समय बीमारियां घेर लेती है और आत्मविश्वास की कमी होती है। जिसके कारण दुबारा फिटनेस पाना मुश्किल हो जाता हैं।
बीस से पच्चीस वर्ष की अवस्था में हदय में खून का दोरा सबसे अधिक होता है । जो लोग व्यायाम के अभ्यस्त नहीं हैं उनमें नज्ज की गति अधिक व्यायाम करने से खतरनाक रूप से अधिक हो सकती हैं। अधिकतम नब्ज की गति उम्र के साथ साथ कम होती जाती है।
मसलन 20 से 25 वर्ष की अवस्था में व्यायाम के दौरान दिल की धड़कन प्रत्येक मिनट 140 से 180 बीच होनी चाहिए वहीं 55 की अवस्था तक आते-आते यह 110 से 140 के बीच ही रह जाती है । 20 वर्ष की अवस्था में किया जाने वाला व्यायाम 50 की अवस्था ने संभव नहीं।
अवस्था में नब्ज की गति 70 से 80 प्रति मिनट के बीच होती है ।
सुबह उठने पर यह धीमी होती है पर जैसे जैसे दिन
बीतता है यह बढती है विशेषकर कोई शारीरिक कार्य करने पर ! पर जो व्यक्ति अधिकार सुस्त रहते है व शरीर से अधिक काम नहीं लेते उनकी नब्ज की गति धीमी ही रहती है ।
बीतता है यह बढती है विशेषकर कोई शारीरिक कार्य करने पर ! पर जो व्यक्ति अधिकार सुस्त रहते है व शरीर से अधिक काम नहीं लेते उनकी नब्ज की गति धीमी ही रहती है ।
इसका अर्थ यह भी है कि हृदय की मांसपेशियों को कसरत नहीँ मिल रहीं जिससे वे मजबूत नहीं हो पाती है और रक्त का संचार कम होने से शरीर के सभी भागों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती जिससे उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है। व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बेहद ज़रूरी है।
आधुनिक जीवन शेली में व्यायाम' शब्द की अहमियत और भी बढ जाती है। सारा दिन एक ही जगह की रहने से, मशीनों पर निर्भर रहने से शरीर की कसरत नहीं हो पाती है जिससे यह बीमारियों का शिकार हो जाता है ।
अलसी बात है कि यदि हम शरीर के किसी अंग से चोट लगने से उसे कुछ समय तक इस्तेमाल करना बंद कर दें तो वह कमजोर व निश्चल हो जाता है ।
इसी प्रकार यदि हम अपने शरीर को एक ही अवस्था में रखें व इसकी कसरत न हो पाए तो इसे भी अनेक बीमारियां घेर लेंगी। व्यायाम शरीर से खून का दौरा बढाता हैं जिससे शरीर के अंगों को अधिक आंक्सीजन मिलती हैं। इससे हृदय मजबूत व फेफडे अधिक सक्षम बनते हैं। यह हदय में रक्त का बहाव तेज कर उस अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता हैं जिससे हदय मजबूत बनता है । व्यायाम से संक्रामक रागों से लड़ने को शक्ति भी मिलती है ।
हमारा शरीर यदि स्वस्थ होगा तो हम उससे कई अतिरिक्त कार्य भी करवा सकते है पर यदि वह स्वस्थ नहीं है तो हमें रोज़मर्रा के कार्यों से भी तकलीफ का सामना करना पड सकता है।
फिटनेस जी तरफ अग्रसर होना एक धीमी, क्रमिक विधि है जो रातों-रात संभव नहीं।
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